दरिया की तह में ठिकाना चाहती है
दरिया की तह में ठिकाना चाहती हैकश्ती तो बस आशियाना चाहती है
लेट आकर गिफ़्ट लाई हैं घड़ी तू
वक़्त की क़ीमत चुकाना चाहती है
इससे पहले पेड़ उसको बोझ समझे
सूखी डाली टूट जाना चाहती है
प्यार में मरने की बातें कर रही है
वो बिछड़ने का बहाना चाहती है
तेज़ दरिया, टूटा पुल, सुनसान जंगल
रात क्या सपना दिखाना चाहती है
ये मोहब्बत रूह तक पहुंचेगी लेकिन
जिस्म के रस्ते से जाना चाहती है
चांद चीखा रात पागल हो गई है
धूप का गजरा लगाना चाहती है
इक नई चाहत ने दस्तक दी है दिल पर
ज़िंदगी फिर आजमाना चाहती है - संदीप ठाकुर
dariya ki tah me thikana chahti hai
dariya ki tah me thikana chahti haikashti to bas aashiyana chahti hai
let aakar gift laai hai ghadi tu
waqt ki keemat chukana chahti hai
isse pahle ped usko bojh samjhe
sukhi dali toot jana chahti hai
pyar me marne ki baate kar rahi hai
wo bichhdane ka bahana chahti hai
tej dariya, tuta pul, sunsan jangal
raat kya sapna dikhana chahti hai
ye mohabbat rooh tah pahuchegi lekin
jism ke raste se jana chahti hai
chaand cheekha raat pagal ho gai
dhoop ka gajra lagana chahti hai
ik nai chahat ne dastak di hai dil par
zindagi phir aajmana chahti hai - Sandeep Thakur