जिसे ख़ुद पर भरोसा है कभी दुख मे नहीं रोता
बहर का नाम- बहरे हज़ज मुसम्मन सालिमवज़्न- 1222 1222 1222 1222
अरकान- मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन
जिसे ख़ुद पर भरोसा है कभी दुख मे नहीं रोता।
सफल है वो जवानी में ज़ियादा जो नहीं सोता।।
नहाए कितना भी गीदड़ वो गीदड़ ही रहेगा बस।
चमक रहती है जब की शेर अपना मुँह नहीं धोता।।
सफ़ेदी पर न जा मेरी अगर कुछ अक्ल है थोड़ी।
बुढ़ापे में किसी का दिल कभी बूढ़ा नहीं होता।।
पड़ी हो आग पर गर राख तो बस दूर ही रहना।
कि ॲंगारा कभी अपनी तपिश जल्दी नहीं खोता।।
'निज़ाम' ऐसा करो कुछ काम दुनिया नाम ले तेरा।
वही शायर है अच्छा जो कभी नफ़रत नहीं बोता।। - निज़ाम फतेहपुरी
jise khud par bharosa hai kabhi khud me nahi rota
jise khud par bharosa hai kabhi khud me nahi rotasafal hai wo jawani me jyada jo nahi sota
nahae kitna bhi gidadh wo gidadh hi rahega bas
chamak rahti hai jab ki sher apna munh nahi dhota
safedi par n ja meri agar kuchh akl hai thodi
budhape me kisi ka dil kabhi budha nahi hota
padi ho aag par gar rakh to bas door hi rahna
ki angara kabhi apni tapish jaldi nahi hota
'Nizam' aisa karo kuch kam duniya nam le tera
wahi shayar hai achha jo kabhi nafrat nahi bota - Nizam Fatehpuri