नींद की ओस से पलकों को भिगोये कैसे
नींद की ओस से पलकों को भिगोये कैसे ?जागना जिसका मुकद्दर हो वो सोये कैसे ?
रेत दामन में हो या दश्त में बस रेत ही है |
रेत में फस्ले-तमन्ना कोई बोये कैसे ?
ये तो अच्छा है कोई पूछने वाला न रहा |
कैसे कुछ लोग मिले थे हमें खोये कैसे ?
रूह का बोझ तो उठता नहीं दीवाने से |
जिस्म का बोझ मगर देखिये ढोये कैसे ?
वरना सैलाब बहा ले गया होता सब कुछ |
आँख की ज़ब्त की ताकीद है रोये कैसे ? - शहरयार
मायने
दश्त = बियाबान, फस्ले-तमन्ना = इच्छा की फसल, ज़ब्त = नियंत्रण
neend ki os se palko ko bhigoye kaise
neend ki os se palko ko bhigoye kaise ?ajgna jiska mukaddar ho wo soye kaise ?
ret daman me ho ya dasht me bas ret hi hai
ret me fasl-e-tamnna koi boye kaise ?
ye to achcha hai koi puchhne wala n raha
kaise kuch log mile the hame khoye kaise ?
rooh ka bojh to uthta nahi deewane se
jism ka bojh magar dekhiye dhoye kaise ?
warna sailab baha le gaya hota sab kuchh
aankh ki zabt ki takeed hai roye kaise - Shaharyar