काम आती है हमारे उम्र भर मिटटी - ओमप्रकाश यती

काम आती है हमारे उम्र भर मिट्टी

काम आती है हमारे उम्र भर मिट्टी
कह दिया बेकार चीजों को मगर मिट्टी

बीज पौधा बन सके यह है बड़ा मुश्किल
है नहीं चारों तरफ उसके अगर मिट्टी

जान है इसमें तभी इंसान है यह देह
बाद में आती है ये सबको नज़र मिट्टी

जब बहुत दिन बाद वह परदेश से लौटा
रो पड़ा अपने वतन की देखकर मिट्टी

गाँव में अब भी हमारे दृश्य है ऐसे
खेत मिट्टी, राह मिट्टी और घर मिट्टी

गाँव से गमले में तुलसी ले के आई माँ
कर के आई तब बहुत लम्बा सफ़र मिट्टी

उनसे बनवाती है कैसे-कैसे बरतन ये
देखती है जिनके हाथो में हुनर मिट्टी

कट नहीं पाएगा तब अपनी जड़ों से वो
याद अगर अपनी रखेगा हर बशर मिट्टी - ओमप्रकाश यती


kaam aati hai hamare umra bhar mitti

kaam aati hai hamare umra bhar mitti
kah diya bekar cheejon ko magar mitti

beej paudha ban sake yah hai bada mushkil
hai nahin charo taraf uske agar mitti

jaan hai isme tabhi insaan hai yah deh
baad me aati hai ye sabko nazar mitti

jab bahut din baad wah pardesh se lauta
ro pada apne watan ki dekhkar mitti

gaon me ab bhi hamare drishy hai aise
khet mitti, raah mitti aur ghar mitti

gaose gamle mein tulsi le ke aai maa
kar ke aai tab bahut lamba safar mitti

unse banwati hai kaise-kaise bartan ye
dekhti hai jinke haatho mein hunar mitti - Omprakash Yati

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