हमारे अपने सारे भाइयों में
हमारे अपने सारे भाइयों मेंहमारा नाम है दंगाइयों में
सभी नफ़रत मुझसे करने लगेंगे
अगर जीते रहे रुस्वाइयों में
क़दम रखना ज़रा तुम भी संभलकर
बहुत से गिर गये हैं खाइयों में
ज़मीं को छोड़ कर हम आ गये हैं
मज़ा कुछ भी नहीं ऊचाइयों में
ग़ज़ल तो आजतक सोती रही है
तुम्हारी ज़ुल्फ़ की परछाइयों में - डॉ. जियाउर रहमान जाफरी
परिचयडॉ. जिया उर रहमान जाफरी साहब ने हिन्दी से पी एचडी और एम॰ एड किया है | आप मुख्यतः ग़ज़ल विधा में लिखते है | आप हिन्दी उर्दू और मैथिली की राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में नियमित लेखन करते आ रहे है | आपको बिहार आपदा विभाग और बिहार राजभाषा विभाग से पुरुस्कृत किया जा चूका है |फ़िलहाल आप बिहार सरकार में अध्यापन कार्य कर रहे है |
आपकी मुख्य प्रकाशित कृतियों में खुले दरीचे की खुशबू (हिन्दी ग़ज़ल), खुशबू छू कर आई है (हिन्दी ग़ज़ल) , चाँद हमारी मुट्ठी में है (बाल कविता), परवीन शाकिर की शायरी (आलोचना), लड़की तब हँसती है (सम्पादन) शामिल है |
hamare apne sare bhaiyo me
hamare apne sare bhaiyo mehamara naam hai dangaiyo me
sabhi nafrat mujhse karne lagenge
agar jeete rahe ruswaiyo me
kadam rakhna zara tum bhi sambhalkar
bahut se gir gaye hai khaiyo me
zameeN ko chhod kar ham aa gaye hai
maza kluch bhi nahi hai unchaiyoN me
ghazal to aajtak soti rahi hai
tumhari zulf ki parchhaiyoN me - Zia Ur Rehman Jafri