चलो चल कर वहीं पर बैठते हैं - राज़िक़ अंसारी

चलो चल कर वहीं पर बैठते हैं

चलो चल कर वहीं पर बैठते हैं
जहां पर सब बराबर बैठते हैं

न जाने क्यों घुटन सी हो रही है
बदन से चल के बाहर बैठते हैं

हमारी हार का ऐलान होगा
अगर हम लोग थक कर बैठते हैं

तुम्हारे साथ में गुज़रे हुए पल
हमारे साथ शब भर बैठते हैं

बताओ किस लिये हैं नर्म सोफ़े
क़लन्दर तो ज़मीं पर बैठते हैं

तुम्हारी बे हिसी बतला रही है
हमारे साथ पत्थर बैठते हैं - राज़िक़ अंसारी


Chalo chal kar wahi par baithte hai

Chalo chal kar wahi par baithte hai
jaha par sab barabar baithte hai

n jane kto ghutan si ho rahi hai
badan se chal ke bahar baithte hai

hamari haar ka ailan hoga
agar ham log thak kar baithte hai

tumhare sath me gujre hue pal
hamare sath sab bhar baithte hai

batao kis liye hai narm sofe
kalandar to zameen par baithte hai

tumhari behisi batla rahi hai
hamare sath patthar baithte hai - Razique Ansari

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