रक़म इतनी इकट्ठी हो गई थी - ख़ालिद महबूब

रक़म इतनी इकट्ठी हो गई थी

रक़म इतनी इकट्ठी हो गई थी
मगर वो चीज़ महँगी हो गई थी

हम इतनी गर्म-जोशी से मिले थे
हमारी चाय ठंडी हो गई थी

तुम्हारे बा'द जितना रोए थे हम
तबीअ'त उतनी अच्छी हो गई थी

समझ कर हम दवाई पी गए थे
तुम्हारी बात कड़वी हो गई थी

पलट आना ही बनता था वहाँ से
हमारे साथ जितनी हो गई थी

हुई थी देर से हम को मोहब्बत
हमारी जल्द शादी हो गई थी

सभी महबूब उठ कर जा रहे थे
कहानी इतनी लम्बी हो गई थी - ख़ालिद महबूब


raqam itni ikatthi ho gai thi

raqam itni ikatthi ho gai thi
magar wo cheez mahangi ho gai thi

hum itni garm-joshi se mile the
hamari chai thandi ho gai thi

tumhaare baad jitna roye the hum
tabiyat utni achchhi ho gai thi

samajh kar hum dawai pi gaye the
tumhaari baat kadwi ho gai thi

palat aana hi banta tha wahan se
hamare sath jitni ho gai thi

hui thi der se hum ko mohabbat
hamari jald shadi ho gai thi

sabhi mahboob uth kar ja rahe the
kahani itni lambi ho gai thi - Khalid Mahboob
रक़म इतनी इकट्ठी हो गई थी - ख़ालिद महबूब, रक़म इतनी इकट्ठी हो गई थी

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