'आ'ली' जी अब आप चलो तुम अपने बोझ उठाए - जमीलुद्दीन आली

'आ'ली' जी अब आप चलो तुम अपने बोझ उठाए

जमीलुद्दीन आली भारत में जन्मे ( 20 जनवरी 1925 ) और पाकिस्तान में मृत्यु को प्राप्त हुए | बीमारी के चलते 23 नवम्बर, 2015 में आपका देहावसान हुआ |

'आ'ली' जी अब आप चलो तुम अपने बोझ उठाए
साथ भी दे तो आख़िर हमारे कोई कहाँ तक जाए

जिस सूरज की आस लगी है शायद वो भी आए
तुम ये कहो, ख़ुद तुम ने अब तक कितने दिए जलाए

अपना काम है सिर्फ़ मोहब्बत बाक़ी उस का काम
जब चाहे वो रूठे हम से, जब चाहे मन जाए

क्या क्या रोग लगे हैं दिल को क्या क्या उन के भेद
हम सब को समझाने वाले, कौन हमें समझाए

एक इसी उम्मीद पे हैं सब दुश्मन दोस्त क़ुबूल
क्या जाने इस सादा-रवी में कौन कहाँ मिल जाए

दुनिया वाले सब सच्चे पर जीना है उसको भी
एक ग़रीब अकेला पापी किस किस से शरमाए

इतना भी मजबूर न करना वर्ना हम कह देंगे
ओ 'आ'ली' पर हँसने वाले तू 'आ'ली' बन जाए - जमीलुद्दीन आली


aali ji ab aap chalo tum apne bojh uthae

aali ji ab aap chalo tum apne bojh uthae
sath bhi de to aakhir pyare koi kaha tak jaye

jis suraj ki aas lagi hai shayad wo bhi aaye
tum ye kaho khud tum ne ab tak kitne diye jalaye

apna kaam hai sirf mohbbat baki us ka kaam
jab chahe wo ruthe ham se jab chahe man jaye

kya kya rog lage hai dil ko kya kya un ke bhed
hum sab ko samjhane wale koun hame samjhaye

ek isi ummid pe hai sab dushman dost kubool
kya jane is sada-ravi main koun kaha mil jaye

duniya wale sab sachche par jeena us ko bhi
ek gareeb aklea papi kis kis se sharmaye

itna bhi majboor n karna warna ham kah denge
o aali par hasne wale tu aali ban jaye - Jamiluddin Aali

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