हर लहजा तेरे पाँव की आहट सुनाई दे - सईद कैस

तेरा ख्याल ही मुझे आया न हो कही इक रौशनी सी आख से दिल तक दिखाई दे

हर लहजा तेरे पाँव की आहट सुनाई दे

हर लहजा तेरे पाँव की आहट सुनाई दे
तू लाख सामने न हो, फिर भी दिखाई दे

आ इस हयाते दर्द को मिल कर गुजार दे
या इस तरह बिछड़ की जमाना दुहाई दे

तेरा ख्याल ही मुझे आया न हो कही
इक रौशनी सी आख से दिल तक दिखाई दे

मिलने की तुझसे फिर न तमन्ना करे ये दिल
इतने खुलूस से मुझे दागे जुदाई दे

देखे तो कैस लौ भी दिये की लगे है सदी
सोचे तो गुल की शाख भी जलती दिखाई दे - सईद कैस
मायने
लहजा = पल, हयात = जिन्दगी, खुलूस = निश्चलता, दागे-जुदाई = बिछुड़ने का दर्द, गुल = फुल


har lahja tere paanv ki aahat sunaai de

har lahja tere paanv ki aahat sunaai de
tu laakh samne n ho, phir bhi dikhai de

aa is hayat-e-dard ko mil kar gujar de
ya is tarah bichhad ki jamana duhaai de

terea khyal hi mujhe aaya n ho kahi
ik roshni si aankh se dil tak dikhai de

milne ki tujhse phir n tammna kare ye dil
itne khuloos se mujhe dage judai de

dekhe to kais lau bhi diye ki lage hai sadi
soche to gul ki shaakh bhi jalti dikhai de - Saeed Kais

2 Comments

कृपया स्पेम न करे |

Previous Post Next Post