निकल आये इधर जनाब कहाँ - बशीर बद्र

निकल आये इधर जनाब कहाँ रात के वक़्त आफताब कहाँ

निकल आये इधर जनाब कहाँ

निकल आये इधर जनाब कहाँ
रात के वक़्त आफताब कहाँ

मेरी आँखे किसी के आंसू
वरना इन पत्थरो में आब कहाँ

सब खिले है किसी के गालो पर
इस बरस बागो में गुलाब कहाँ

मेरे होठो पे तेरी खुशबू है
छू सकेगी इन्हे शराब कहाँ - बशीर बद्र


nikal aaye idhar janab kaha

nikal aaye idhar janab kaha
raat ke waqt aaftab kaha

meri aankhe kisi ke aansu hai
warna in pattharo me aab kaha

seb khile hai kisi ke galo par
is baras baago me gulab kaha

mere hotho pe teri khushboo hai
chhu sakegi inhe sharab kaha - Bashir Badr

बशीर बद्र साहब की किताब :

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