जिन्दगी जैसी तवक्को थी नहीं, कुछ कम है - शहरयार

जिन्दगी जैसी तवक्को थी नहीं, कुछ कम है

जिन्दगी जैसी तवक्को थी नहीं, कुछ कम है
हर घडी होता है अहसास कही कुछ कम है

घर की तामीर तस्सवुर ही में हो सकती है
अपने नक़्शे के मुताबिक यह जमीं, कुछ कम है

बिछड़े लोगो से मुलाकात कभी फिर होगी
दिल में उम्मीद तो काफी है, यकीं कुछ कम है

अब जिधर देखिये लगता है कि इस दुनिया में
कही कुछ ज्यादा है, कही कुछ कम है

आज भी है तेरी दूरी ही उदासी का सबब
यह अलग बात कि पहली सी नहीं, कुछ कम है - शहरयार


zindagi jaisi tawaqqo thi nahi, kuch kam hai

zindagi jaisi tawaqqo thi nahi, kuch kam hai
har ghadi hota hai ahsas kahi, kuch kam hai

ghar ki tmair tasvvur hi me ho sakti hai
apne naqshe ke mutabik yah zameen kuch kam hai

bichchde logo se mulakat kabhi phir hogi
dil me ummid to kafi hai, yakeen kuch kam hai

ab jidhar dekhiye lagta hai ki is duniya me
kahi kuch jyada hai, kahi kuch kam hai

aaj bhi hai teri doori hi udasi ka sabab
yah alag baat ki pahli si nahi, kuch kam hai - Shaharyar

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