तेरे बंदे हम है खुदा जानता है
तेरे बंदे हम है खुदा जानता हैखुदा जाने तू हमको क्या जानता है
नहीं इश्क का दर्द लज्जत से खाली
जिसे ज़ौक है वह मज़ा जानता है
हमेशा दिल अपना जो बेजा है उस बिन
मेरे क़त्ल को जा बजा जानता है
किये ज़ेर बुरका गए गेसुओ में
गरज़ खूब वह मुँह छिपा जानता है
मुझे जाने है आप सा ही फरेबी
दुआ को भी मेरे दगा जानता है
ज़फ़ा उस पे करता है हद से ज्यादा
जिन्हें यार अहले-वफ़ा जानता है
उसे जब न तब हमने बिगड़ा ही पाया
यही अच्छे मुँह को बना जानता है
बला शोरअंगेज़ है चाल उसकी
इस तर्ज़ को खुशनुमा जानता है
न गर्मी जलाती थी ऐसी न सर्दी
मुझे यार जैसा जला जानता है
यही है सजा चाहने की हमारी
हमें कुश्त: खूँ की सजा जानता है
मेरे दिल में रहता है तू भी तभी तो
जो कुछ दिल का है मुद्दआ जानता है
परी उसके साये को लग भी सके न
वह इस जींस को क्या बला जानता है
जहाँ 'मीर' आशिक़ हुआ ख्वार ही था
यह सौदाई कब दिल लगा जानता है - मीर तक़ी मीर
tere bande ham hai khuda janta hai
tere bande ham hai khuda janta haikhuda jane tu hamko kya janta hai
nahi ishq ka dard lazzat se khali
jise zauq hai wah maza janta hai
hamesha dil apna jo beza hai us bin
mere qatl ko ja baza janta hai
kiye zer burka gaye gesuo me
garaz khub wah munh chhipa janta hai
mujhe jane hai aap sa hi farebi
duaa ko bhi mere daga janta hai
zafa us pe karta hai had se jyada
jinhe yaar ahal-e-wafa janta hai
use jab n tab hamne bigada hi paya
yahi achche munh ko bana janta hai
bala shorangez hai chal uski
is tarzz ko khushnuma janta hai
n garmi jalati thi aisi n sardi
mujhe yaar jaisa jala janata hai
yahi hai saja chahne ki hamari
hame kushth khooN ki saja janta hai
mere dil me rahta hai tu bhi tabhi to
jo kuchh dil ka hai muddaaa janta hai
pari uske saye ko lag bhi sake na
wah is zins ko kya bala janta hai
jahan "Meer" aashiq hua khwar hi tha
yah soudaai kab dil laga janta hai - Meer Taqi Meer