एक टूटी हुई ज़ंजीर की फ़रियाद हैं हम - मेराज फैजाबादी

एक टूटी हुई ज़ंजीर की फ़रियाद हैं हम

एक टूटी हुई ज़ंजीर की फ़रियाद हैं हम
और दुनिया ये समझती है के आज़ाद हैं हम

क्यों हमें लोग समझते हैं यहाँ परदेसी
इक मुद्दत से इसी शहर में आबाद हैं हम

काहे का तर्क-ए-वतन काहे की हिजरत बाबा
इसी धरती की इसी देश की औलाद हैं हम

हम भी तामीर-ए-वतन में हैं बराबर के शरीक
दर-ओ-दीवार अगर तुम हो तो बुनियाद हैं हम

हम को इस दौर-ए-तरक़्क़ी ने दिया क्या है
कल भी बर्बाद थे और आज भी बर्बाद हैं हम - मेराज फैजाबादी


ek tuti hui janzeer ki fariyad hai ham

ek tuti hui janzeer ki fariyad hai ham
aur duniya ye samjhati hai ke aazad hai ham

kyo hame log samjhte hai yaha pardesi
ik muddat se isi shahar me aabad hai ham

kahe ka tark-e-watan kaahe ki hijrat baba
isi dharti ki isi desh ki aulad hai ham

ham bhi tamir-e-watan me hai barabar ke sharik
dar-o-deewar agar tum ho to buniyad hai ham

ham ko is dour-e-tarkki ne diya kya hai
kal bhi barbad the aur aaj bhi barbad hai ham - Meraj Faizabadi

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