शबाब आया किसी बुत पर फ़िदा होने का वक़्त आया - हरिचंद अख्तर

शबाब आया किसी बुत पर फ़िदा होने का वक़्त आया मेरी दुनिया में बन्दे के खुदा होने का वक़्त आया

शबाब आया किसी बुत पर फ़िदा होने का वक़्त आया

शबाब आया किसी बुत पर फ़िदा होने का वक़्त आया
मेरी दुनिया में बन्दे के खुदा होने का वक़्त आया

उन्हें देखा तो जाहिद ने कहा, ईमान की यह है
की अब इंसान की सिजदा रवा होने का वक़्त आया

तकल्लुम की ख़ामोशी कह रही है, हर्फे-मतलब से
की अश्क आमेज नजरो से अदा होने का वक़्त आया

खुदा जाने ये है औजे-यकीं या पस्ती-ए-हिम्मत
खुदा से कह रहा हू, नाखुदा होने का वक़्त आया

हमें भी आ पड़ा है दोस्तों से कुछ काम यानि
हमारे दोस्तों के बेवफा होने का वक़्त आया- पंडित हरिचंद अख्तर
मायने
जाहिद = कर्मकांडी, रवा = जायज, तकल्लुम = बातचीत, हर्फे-मतलब = मुद्दे की बात, अश्क-आमेज = आसू भरी, औजे-यकीं = विश्वास की पराकाष्ठा, पश्तो-ए-हिम्मत = हिम्मत की कमी


Shabab aaya kisi but par fida hone ka waqt aaya

Shabab aaya kisi but par fida hone ka waqt aaya
meri duniya me bande ke khuda hone ka waqt aaya

unhe dekha to jahid ne kaha, imaan ki yah hai
ki ab insan ki sijda rawa hone ka waqt aaya

takllum ki khamoshi kah rahi hai harfe matlab se
ki ashq aamej najro se ada hone ka waqt aaya

khuda jane ye hai ouje-yaki ya pasti-e-himmat
khuda se kah raha hu, nakhuda hone ka waqt aaya

hame bhi aa pada hai dosto se kuch kaam yani
hamare dosto ke bewafa hone ka waqt aaya - Pandit Harichand Akhtar

1 Comments

कृपया स्पेम न करे |

Previous Post Next Post