उँगलियाँ उठेंगी दुनिया में तेरी औलाद पर - जोश मलीहाबादी

उँगलियाँ उठेंगी दुनिया में तेरी औलाद पर

उँगलियाँ उठेंगी दुनिया में तेरी औलाद पर
गलगला होगा वो आते है रज़ालत के पिसर

तेरी मस्तुरात का बाजार में होगा क़याम
मारिज़े-दुशनाम में तेरा लिया जायेगा नाम

उस तरफ मुंह करके थूकेगा न कोई नौज़वान
बर की हसरत में रहेगी तेरा घर की लड़किया

क्या जवानो के गज़ब का ज़िक्र ओ इब्ने-ख़िताब
सुन के तेरा नाम उड़ जायेगा बूढों का खिज़ाब

फोश समझी जायेगी महलों में तेरी दास्तां
काँप उठेगी ज़िक्र से तेरे कुंवारी लड़कियां

आएगा तारीख का जिस वक्त जुंबिश में कलम
कब्र तेरी दे उठेगी लों जहन्नुम की क़सम - जोश मलीहाबादी
मायने
रज़ालत = नीचता, पिसर = वंशज, मस्तुरात = औरतो, मारिज़े-दुशनाम=गाली देने के संबंध में, इब्ने-खिताब = उपाधियो के लिए लालायित, फोश = अश्लील


ungliya uthengi duniya me teri aulaad par

ungliya uthengi duniya me teri aulaad par
galgala hoga wo aate hai razaalat ke pisar

teri masturaat ka bazaar me hoga kayaam
maarize-dushnaam me tera liya jayega naam

us taraf munh karke thukega n koi noujwaan
bar ki hasrat me rahegi tera ghar ki ladkiya

kya jawaano ke gazab k zikra o ibne-khitab
sun ke tera naam ud jayega budho ka khizab

fosh samjhi jayegi mahlo me teri dastaan
kaap uthegi zikra se tere kunwari ladkiyaN

aayega tareekh ka jis waqt zumbish me kalam
kabr me teri de uthegi lou jahnnum ki kasam - Josh Malihabadi

उँगलियाँ उठेंगी दुनिया में तेरी औलाद पर

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