थे निवाले मोतियों के जिन के खाने के लिए - लाला माधव राम जौहर

थे निवाले मोतियों के जिन के खाने के लिए

थे निवाले मोतियों के जिन के खाने के लिए
फिरते हैं मुहताज वो इक दाने दाने के लिए

शम्अ जलवाते हैं ग़ैरों से वो मेरी क़ब्र पर
ये नई सूरत निकाली है जलाने के लिए

दैर जाता हूँ कभी काबा कभी सू-ए-कुनिश्त
हर तरफ़ फिरता हूँ तेरे आस्ताने के लिए

हाथ में ले कर गिलौरी मुझ को दिखला कर कहा
मुँह तो बनवाए कोई इस पान खाने के लिए

ऐ फ़लक अच्छा किया इंसाफ़ तू ने वाह वाह
रंज मेरे वास्ते राहत ज़माने के लिए - लाला माधव राम जौहर


the niwale motiyon ke jin ke khane ke liye

the niwale motiyon ke jin ke khane ke liye
phirte hain muhtaj wo ek dane dane ke liye

shama jalwate hain ghairon se wo meri qabr par
ye nai surat nikali hai jalane ke liye

dair jata hun kabhi kaba kabhi su-e-kunisht
har taraf phirta hun tere aastane ke liye

hath mein le kar gilauri mujh ko dikhla kar kaha
munh to banwae koi is pan khane ke liye

ae falak achchha kiya insaaf tu ne wah wah
ranj mere vaste rahat zamane ke liye - Lala Madhav Ram Jauhar

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