न हम-सफ़र न किसी हम-नशीं से निकलेगा - राहत इंदौरी

न हम-सफ़र न किसी हम-नशीं से निकलेगा

न हम-सफ़र न किसी हम-नशीं से निकलेगा
हमारे पाँव का काँटा हमीं से निकलेगा

मैं जानता था कि ज़हरीला साँप बन बन कर
तिरा ख़ुलूस मिरी आस्तीं से निकलेगा

इसी गली में वो भूका फ़क़ीर रहता था
तलाश कीजे ख़ज़ाना यहीं से निकलेगा

बुज़ुर्ग कहते थे इक वक़्त आएगा जिस दिन
जहाँ पे डूबेगा सूरज वहीं से निकलेगा

गुज़िश्ता साल के ज़ख़्मो हरे-भरे रहना
जुलूस अब के बरस भी यहीं से निकलेगा - राहत इंदौरी


na ham-safar na kisi ham-nashin se niklega

na ham-safar na kisi ham-nashin se niklega
hamare panv ka kanta hamin se niklega

main jaanta tha ki zahrila saanp ban ban kar
tera khulus meri aasteen se niklega

isi gali mein wo bhukha faqir rahta tha
talash kije khazana yahin se niklega

buzurg kahte the ek waqt aayega jis din
jahan pe dubega suraj wahin se niklega

guzishta sal ke zakhmo hare-bhare rahna
julus ab ke baras bhi yahin se niklega - Rahat Indori
न हम-सफ़र न किसी हम-नशीं से निकलेगा - राहत इंदौरी, न हम-सफ़र न किसी हम-नशीं से निकलेगा, na ham-safar na kisi ham-nashin se niklega

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