हिजाब-ए-फ़ित्ना-परवर अब उठा लेती तो अच्छा था - मजाज़ लखनवी

हिजाब-ए-फ़ित्ना-परवर अब उठा लेती तो अच्छा था

हिजाब-ए-फ़ित्ना-परवर अब उठा लेती तो अच्छा था
ख़ुद अपने हुस्न को पर्दा बना लेती तो अच्छा था

तिरी नीची नज़र ख़ुद तेरी इस्मत की मुहाफ़िज़ है
तू इस नश्तर की तेज़ी आज़मा लेती तो अच्छा था

तिरी चीन-ए-जबीं ख़ुद इक सज़ा क़ानून-ए-फ़ितरत में
इसी शमशीर से कार-ए-सज़ा लेती तो अच्छा था

ये तेरा ज़र्द रुख़ ये ख़ुश्क लब ये वहम ये वहशत
तू अपने सर से ये बादल हटा लेती तो अच्छा था

दिल-ए-मजरूह को मजरूह-तर करने से क्या हासिल
तू आँसू पोंछ कर अब मुस्कुरा लेती तो अच्छा था

तिरे ज़ेर-ए-नगीं घर हो महल हो क़स्र हो कुछ हो
मैं ये कहता हूँ तू अर्ज़-ओ-समा लेती तो अच्छा था

अगर ख़ल्वत में तू ने सर उठाया भी तो क्या हासिल
भरी महफ़िल में आ कर सर झुका लेती तो अच्छा था

तिरे माथे का टीका मर्द की क़िस्मत का तारा है
अगर तू साज़-ए-बेदारी उठा लेती तो अच्छा था

अयाँ हैं दुश्मनों के ख़ंजरों पर ख़ून के धब्बे
उन्हें तू रंग-ए-आरिज़ से मिला लेती तो अच्छा था

सनानें खींच ली हैं सर-फिरे बाग़ी जवानों ने
तू सामान-ए-जराहत अब उठा लेती तो अच्छा था

तिरे माथे पे ये आँचल बहुत ही ख़ूब है लेकिन
तू इस आँचल से इक परचम बना लेती तो अच्छा था - मजाज़ लखनवी


hijab-e-fitna-parwar ab uTha leti to achchha tha

hijab-e-fitna-parwar ab uTha leti to achchha tha
KHud apne husn ko parda bana leti to achchha tha

teri nichi nazar KHud teri ismat ki muhafiz hai
tu is nashtar ki tezi aazma leti to achchha tha

teri chin-e-jabin KHud ek saza qanun-e-fitrat mein
isi shamshir se kar-e-saza leti to achchha tha

ye tera zard ruKH ye KHushk lab ye wahm ye wahshat
tu apne sar se ye baadal haTa leti to achchha tha

dil-e-majruh ko majruh-tar karne se kya hasil
tu aansu ponchh kar ab muskura leti to achchha tha

tere zer-e-nagin ghar ho mahal ho qasr ho kuchh ho
main ye kahta hun tu arz-o-sama leti to achchha tha

agar KHalwat mein tu ne sar uThaya bhi to kya hasil
bhari mahfil mein aa kar sar jhuka leti to achchha tha

tere mathe ka Tika mard ki qismat ka tara hai
agar tu saz-e-bedari uTha leti to achchha tha

ayan hain dushmanon ke KHanjaron par KHun ke dhabbe
unhen tu rang-e-ariz se mila leti to achchha tha

sananen khinch li hain sar-phire baghi jawanon ne
tu saman-e-jarahat ab uTha leti to achchha tha

tere mathe pe ye aanchal bahut hi KHub hai lekin
tu is aanchal se ek parcham bana leti to achchha tha - Majaz Lakhnavi
हिजाब-ए-फ़ित्ना-परवर अब उठा लेती तो अच्छा था

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