समझता हूँ मैं सब कुछ सिर्फ़ समझाना नहीं आता - अख्तर अंसारी

समझता हूँ मैं सब कुछ सिर्फ़ समझाना नहीं आता तड़पता हूँ मगर औरों को तड़पाना नहीं आता

समझता हूँ मैं सब कुछ सिर्फ़ समझाना नहीं आता

समझता हूँ मैं सब कुछ सिर्फ़ समझाना नहीं आता
तड़पता हूँ मगर औरों को तड़पाना नहीं आता

ये जमुना की हसीं आवाज क्यूँ अर्गन बजाती हैं
मुझे गाना नहीं आता मुझे गाना नहीं आता

ये मेरी ज़ीस्त ख़ुद इक मुस्तक़िल तूफ़ान है 'अख़्तर'
मुझे इन ग़म के तूफ़ानों से घबराना नहीं आता - अख्तर अंसारी


Samjhata hu mai sab kuch sirf samjhana nahi aata

Samjhata hu mai sab kuch sirf samjhana nahi aata
tadpata hu magar auro ko tadpana nahi aata

ye jamuna ki haseen aawaz kyu organ bajati hai
mujhe gana nahi aata mujhe gana nahi aata

ye meri zist khud ik mustkil tufaan hai "Akhtar"
mujhe in gham ke tufano se ghabrana nahi aata - Akhtar Ansari

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