शाम तक जब कोई घर आता न था - शहरयार

शाम तक जब कोई घर आता न था

शाम तक जब कोई घर आता न था
चैन दिल को रात भर आता न था

बंद रखते अपनी आँखे हम सभी
चाँद जब तक बाम पर आता न था

दूर तक चलते थे सहराओ में हम
देर तक कोई शजर आता न था

इक उफक पे जा के रूक जाती निगाह
और फिर कुछ भी नजर आता न था

दश्ते-तन्हाई का वो लम्बा सफ़र
याद कोई हमसफ़र आता न था

सिर्फ अफसुर्दादिली को क्या कहे
हमको जीने का हुनर आता न था - शहरयार
मायने
बाम = छत, सहराओं = रेगिस्तानो, उफक = क्षतिज, दश्ते-तन्हाई = अकेलेपन का जंगल, अफसुर्दादिली = उदासी


sham tak jab koi ghar aata n tha

sham tak jab koi ghar aata n tha
chain dil ko raat bhar aata n tha

band rakhte apni aankhe hum sabhi
chand jab tak baam par aata n tha

door tak chalte the sahrao me hum
der tak koi shazar aata n tha

ik ufaq pe ja ke ruk jati nigah
aur fir kuch bhi nazar aata n tha

dashte-tanhai ka wo laba safar
yaad koi hamsafar aata n tha

sirf afsurdadili ko kya kahe
hamko jeene ka hunar aata n tha - Shaharyar

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