नहीं मुमकिन मिलन अब दोस्तो से
नहीं मुमकिन मिलन अब दोस्तो सेमुहब्बत में बशर तनहा हुआ है
करूँ क्या ज़िक्र मैं ख़ामोशियों का
यहाँ तो वक़्त भी थम-सा गया है
भले ही खूबसूरत है हक़ीक़त
तसव्वुर का नशा लेकिन जुदा है
अभी तक दूरियाँ हैं बीच अपने
भले ही मुझसे अब वो आशना है
हमेशा क्यों ग़लत कहते सही को
"ज़माने में यही होता रहा है"
गुजर अब साथ भी मुमकिन कहाँ था
मैं उसको वो मुझे पहचानता है
गिरी बिजली नशेमन पर हमारे
न रोया कोई कैसा हादिसा है
बलन्दी नाचती है सर पे चढ़के
कहाँ वो मेरी जानिब देखता है
हमेशा गुनगुनाता हूँ बहर में
ग़ज़ल का शौक़ बचपन से रहा है
जिसे कल ग़ैर समझे थे वही अब
रगे-जां में हमारी आ बसा है - महावीर उत्तरांचली
nahin mumkin milan ab dosto se
nahin mumkin milan ab dosto semuhbbat m bashar tanha hua hai
karu kya zika mai khamoshiyon ka
yahan to waqt bhi tham-sa gaya hai
bhale hi khubsurat hai haqiqat
taswwur ka nasha lekin juda hai
abhi tak duriyaan hai beech apne
bhale hi mujhse ab wo aashna hai
hamesha kyon galat kahte sahi ko
"zamane me yahi hota raha hai "
gujar ab sath bhi mumkin kahan tha
mai usko wo mujhe pahchanta hai
giri bijli nasheman par hamare
n roya koi kaisa hadisa hai
bulndi nachti hai sar pe chadhke
kahan wo meri zanib dekhta hai
hamesha gungunata hun bahar mein
ghazal ka shouq bachpan se raha hai
jise kal gair samjhe the wahi ab
rage-zaa me hamari aa basa hai - Mahaveer Uttranchali
महावीर उत्तरांचली साहब उत्तराखंड के रहने वाले है आपका जन्म दिल्ली में 24 जुलाई 1971 को हुआ | आप वर्तमान में गाज़ियाबाद से प्रकाशित त्रेमासिक पत्रिका कथा संसार के उप संपादक है और बुलंदशहर से प्रकाशित त्रेमासिक पत्रिका बुलंदप्रभा में साहित्य सहभागी है | साथ ही साथ आप उत्तरांचली साहित्य संस्थान के निर्देशक भी है |
आपकी अभी तक तीन किताबे प्रकाशित हो चुकी है जिनमे :-
1.) आग का दरिया (ग़ज़ल संग्रह, 2009 / अमृत प्रकाशन),
2.) तीन पीढ़ियां : तीन कथाकार (कथा संग्रह में प्रेमचंद, मोहन राकेश और महावीर उत्तरांचली की 4-4 कहानियां; संपादक : सुरंजन, 2007) मगध प्रकाशन,
3.) मन में नाचे मोर है (जनक छंद, 2013) उत्तरांचली साहित्य संस्थान से प्रकाशित हो चुके है |
आपसे m.uttranchali@gmail.com पर संपर्क कर सकते है |
ग़ज़ल प्रकाशित करने के लिए आपका हृदय से आभारी हूँ।