तुमको ताब क्यों नही है क्यों बेताब हो तुम - मारुफ आलम

तुमको ताब क्यों नही है क्यों बेताब हो तुम

तुमको ताब क्यों नही है क्यों बेताब हो तुम
जलने वालो बताओ क्या आफताब हो तुम

ये जर्जर गुम्बद तुम्हारी झुकती क्यों नही है
जिसमे कैद हैं दिवाने क्या वही बाब हो तुम

जन्नत के दरवाजों के रंग भी फीके लगते हैं
देवता की आंखों का क्या कोई खाब हो तुम

घूम-घामकर दोनों को जुदा-जुदा हो जाना है
मैं दरिया का एक मुसाफिर और नाव हो तुम

मैं जानता हूँ 'आलम' मे क्या वजूद तुम्हारा है
जो गैरों की लौ से रौशन है वो महताब हो तुम - मारुफ आलम


Tumko taab kyon nahin hai kyon betaab ho tum

Tumko taab kyon nahin hai kyon betaab ho tum
jalne walo batao kya aaftaab ho tum

ye jarjar gumbad tumhari jhukti kyo nahi hai
jisme kaid hai deewane kya wahi baab ho tum

jannat ke darwajo ke rang bhi feeke lagte hai
devta ki aankho ka kya koi khwab ho tum

ghum-ghamkar dono ko juda-juda ho jana hai
mai dariya ka ek musafir aur naav ho tum

mai janta hun 'Aalam' me kya wajood tumhara hai
jo gairo ki lau se roushan hai wo mahtaab ho tum - Maroof Aalam

परिचय

जन्मतिथि - 11 दिसम्बर 1989
जन्मस्थान - ग्राम सनकरा, पोस्ट नरखेड़ा, तहसील बिलासपुर ,जिला रामपुर उत्तर प्रदेश - 244901
शिक्षा - पत्रकारिता मे (एम ए) किया है
विभिन्न पत्र पत्रिकाओं मे ग़ज़ल और नज़्म का प्रकाशन हो चुका है
पुस्तकें - 'सजायाफ्ता लोग', 'उजले शहर', 'खामोश बस्तियां' और 'कारवां वाले' शायरी संग्रह Amazon पर प्रकाशित हो चुके हैं

Post a Comment

कृपया स्पेम न करे |

Previous Post Next Post