बहुत से ग़म दिसंबर में दिसंबर के नही होते उसे भी जून का ग़म था मगर रोया दिसंबर में...!! - जॉन एलिया *-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-...
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उसे भी जून का ग़म था मगर रोया दिसंबर में...!! - जॉन एलिया
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तू नया है तो दिखा सुबह नयी, शाम नयी
वरना इन आँखों ने देखे हैं नए साल कई
बे-सबब देते हैं क्यूँ लोग मुबारकबादें
ग़ालिबन भूल गए वक़्त की कड़वी यादें
तेरी आमद से घटी उम्र जहाँ में सब की
'फ़ैज़' ने लिक्खी है यह नज़्म निराले ढब की - फैज़ अहमद फैज़
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वक़्त यूँ ही न गँवाओ कि नया साल है आज
दोस्तो, जाम उठाओ, कि नया साल है आज
और होता कोई दिन तो कोई बात न थी
आज पहलू से न जाओ कि नया साल है आज - कुलदीप सलील
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यकुम जनवरी है नया साल है
दिसम्बर में पूछूँगा क्या हाल है- अमीर कज़लबाश
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ख़त्म होता है साल आ जाओ
दूर कर दो मलाल आ जाओ - ज़िया फ़तेहाबादी
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आज इक और बरस बीत गया उस के बग़ैर
जिस के होते हुए होते थे ज़माने मेरे - अहमद फ़राज़
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इक साल गया इक साल नया है आने को
पर वक़्त का अब भी होश नहीं दीवाने को - इब्न-ए-इंशा
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किसी को साल-ए-नौ की क्या मुबारकबाद दी जाए
कैलन्डर के बदलने से मुक़द्दर कब बदलता है - ऐतबार साजिद
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देखिए पाते हैं उश्शाक़ बुतों से क्या फ़ैज़
इक बरहमन ने कहा है कि ये साल अच्छा है - मिर्ज़ा ग़ालिब
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तू नया है तो दिखा सुब्ह नई शाम नई
वर्ना इन आँखों ने देखे हैं नए साल कई - फ़ैज़ लुधियानवी
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दुल्हन बनी हुई हैं राहें
जश्न मनाओ साल-ए-नौ के - साहिर लुधियानवी
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इक अजनबी के हाथ में दे कर हमारा हाथ
लो साथ छोड़ने लगा आख़िर ये साल भी - हफ़ीज़ मेरठी
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पुराने साल की ठिठुरी हुई परछाइयाँ सिमटीं
नए दिन का नया सूरज उफ़ुक़ पर उठता आता है - अली सरदार जाफ़री
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ये किस ने फ़ोन पे दी साल-ए-नौ की तहनियत मुझ को
तमन्ना रक़्स करती है तख़य्युल गुनगुनाता है - अली सरदार जाफ़री
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फिर नए साल की सरहद पे खड़े हैं हम लोग
राख हो जाएगा ये साल भी हैरत कैसी - अज़ीज़ नबील
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मुबारक मुबारक नया साल आया
ख़ुशी का समाँ सारी दुनिया पे छाया - अख़्तर शीरानी
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पलट सी गई है ज़माने की काया
नया साल आया नया साल आया - अख़्तर शीरानी
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उम्र का एक और साल गया
वक़्त फिर हम पे ख़ाक डाल गया - शकील जमाली
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नया साल दीवार पर टाँग दे
पुराने बरस का कैलेंडर गिरा - मोहम्मद अल्वी
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क़िस्से बनेंगे अब के बरस भी कमाल के...
पिछला बरस तो गया है कलेजा निकाल के...
तुमको नया ये साल मुबारक हो दोस्तों,
मैं जख़्म गिन रहा हूँ अभी पिछले साल के...- ख़लील धनतेजवी
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चेहरे से झाड़ पिछले बरस की कुदूरतें
दीवार से पुराना कैलन्डर उतार दे - ज़फ़र इक़बाल
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बहार-ए-हुस्न ये दो दिन की चाँदनी है हुज़ूर
जो बात अब की बरस है वो पार साल नहीं - लाला माधव राम जौहर
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क्या होगा अगले साल में कुछ भी पता नहीं
ये साल तो गया है कलेजा निकाल के - सुरेन्द्र चतुर्वेदी
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दिल ने हिसाब जोड़ लिया गुज़रे साल का
नुक़सान हो चुका है बहुत जानमाल का
काटी है उम्र मैने तिरे रख-रखाव में
सौंपा गया था काम मुझे देखभाल का - इरशाद ख़ान सिकन्दर
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बहुत कुछ गया है गये साल में
ख़ुदा जाने क्या हो नये साल में - इरशाद ख़ान सिकन्दर
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बह न पाए फिर इंसानियत का लहू
हो यही मेहरबानी नये साल में
राजधानी में जितने हैं चिकने घड़े
काश हों पानी-पानी नये साल में - द्विजेन्द्र द्विज
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इस नये साल में बस इतना ही देखूं मैं खुदा
जब भी देखूं तो वो मासूम सा चेहरा देखूं
ख्वाब बन बन के वही आये मेरी आँखों में
जब उठूं नींद से तो पलकों को महका देखूं - अजय सहाब
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माना कि आएगी हजार मुश्किलें
किसी तरह बस तूम आ जाना,
पिछले बरस हमसे बिछड़े थे,
अब के बरस तुम आ जाना - अरमान खान
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वो ही दुख वैसी ही रातें हैं इरादे भी वही
इस नए साल में बतलाइये नया क्या है? -राकेश राज
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ऐ नये साल बता, तुझ में नयापन क्या है?
हर तरफ ख़ल्क ने क्यों शोर मचा रखा है? - फैज़ अहमद फैज़
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इक बरस और कट गया शारिक़
रोज़ साँसों की जंग लड़ते हुए
सबको अपने ख़िलाफ़ करते हुए
यार को भूलने से डरते हुए
अपनी नादानियों पे हंसते हुए
और सबसे बड़ा कमाल है ये
सांस लेने से दिल नहीं भरता
अब भी मरने को जी नहीं करता - शारिक़ कैफ़ी
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मेरे मालिक तू मेरी सुन ले बस इतना कर दे
गुज़रे सालों से मैं इस साल को अच्छा देखूं - डा. ख़ालिद कमाल भारत
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तब नया साल मैं मनाऊँगा
जब मेरे फिर से तुम हो जाओगे - आतिश इंदौरी
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उम्मीदें ही पाल गया
खाली ये भी साल गया - नज़्म सुभाष
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नया नया ये साल मुबारक
महँगाई की चाल मुबारक
सौ दिन में जो बन ना पायीं
सड़कें खस्ताहाल मुबारक
भ्रष्टाचारी पचा रहे जो
वो अरबों का माल मुबारक - नज़्म सुभाष
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नया है साल, नया दिन, नयी है हमारी उम्मीदे
खुदा करे के ये हम सबके हक में बेहतर हो - जुबैर अंसारी
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ज़ुल्मों जफ़ा की ख़ातिर ये साल आख़िरी है।
हर इक ख़ता की ख़ातिर ये साल आख़िरी है। - राजीव कुमार
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नये साल मे बीते साल पर किताब लिख दू
कुछ उधार बाकी तो नही हिसाब लिख दू। - सुनील कुमार निखारे
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नये साल से कुछ नई उम्मीदें लगाये बैठे हैं हम
नये साल से नया मिले पिछला साल हुआ सपना - वी. के. हुबाब
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