कुछ वक्त और ग़ुज़र गया ज़िंदगी का अपना - वी के. हुबाब

कुछ वक्त और ग़ुज़र गया ज़िंदगी का अपना

कुछ वक्त और ग़ुज़र गया ज़िंदगी का अपना
दिल ख़ुश रहे या ग़मग़ीन वक्त कब हुआ अपना

नये साल से कुछ नई उम्मीदें लगाये बैठे हैं हम
नये साल से नया मिले पिछला साल हुआ सपना

वही ज़िंदगी वही सुबह वही रातें पर ख़्वाब नये
नये रंगों में ख्व़ाब सज़े पुरानी बातों में क्या तपना

एक साल हुआ कम ये सोच के क्यों ग़मग़ीन रहें
पलकें बिछाये खड़ा है नया साल तो है अपना - वी के. हुबाब

kuch waqt aur gujar gaya zindagi ka apna

kuch waqt aur gujar gaya zindagi ka apna
dil khush rahe ya gamgeen waqt kab hua apna

naye saal se kuch nai ummide lagaye baithe hai ham
naye saal se naya mile pichhla saaal hua sapna

wahi zindagi wahi subah wahi raate par khwab naye
naye rango me khwab saje purani baato me kya tapna

ek saal hua kam ye soch ke kyo gamgeen rahe
palke bichhaye khada hai naya saal to hai apna - VK Hubab

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