गुनगुनाती हुई आवाज़ कहाँ से लाऊँ - चरख़ चिन्योटी

गुनगुनाती हुई आवाज़ कहाँ से लाऊँ तेरी आवाज़ का अंदाज़ कहाँ से लाऊँ

गुनगुनाती हुई आवाज़ कहाँ से लाऊँ

गुनगुनाती हुई आवाज़ कहाँ से लाऊँ
तेरी आवाज़ का अंदाज़ कहाँ से लाऊँ

तेरे अल्ताफ़ से रक़्साँ हैं लबों पर ख़ुशियाँ
ग़म में डूबी हुई आवाज़ कहाँ से लाऊँ

हाल-ए-दिल फूल से चेहरों को सुनाने के लिए
मैं लब-ए-ज़मज़मा-पर्वाज़ कहाँ से लाऊँ

मुझ से हंस हंस के तिरी मश्क़-ए-सितम होती है
तुझ सा मोनिस बुत-ए-तन्नाज़ कहाँ से लाऊँ

शोमी-ए-बख़्त है ये 'चर्ख़' कि वो कहते हैं
मैं मसीहाई का अंदाज़ कहाँ से लाऊँ - चरख़ चिन्योटी


gungunati hui aawaz kahan se laun

gungunati hui aawaz kahan se laun
teri aawaz ka andaz kahan se laun

tere altaf se raqsan hain labon par khushiyan
gham mein dubi hui aawaz kahan se laun

haal-e-dil phul se chehron ko sunane ke liye
main lab-e-zamzama-parwaz kahan se laun

mujh se hans hans ke teri mashq-e-sitam hoti hai
tujh sa monis but-e-tannaz kahan se laun

shomi-e-bakht hai ye 'charkh' ki wo kahte hain
main masihai ka andaz kahan se laun - Charkh Chinioti

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