पानी की तरह रेत के सीने में उतर जा - रशीद कैसरानी

पानी की तरह रेत के सीने में उतर जा

पानी की तरह रेत के सीने में उतर जा
या फिर तू धुआँ बन के खलाओ में बिखर जा

लहरा किसी छतनार पे, ओ मीत हवा के
सूखे हुए पत्तों से दबे पाँव गुजर जा

बढती हुई इस धुप में साया तो ढलेगा
एहसान कोई रेत की दीवार पे धर जा

बुझती हुई एक शब का तमाशाई हू मै भी
ए सुबह के तारे, मेरी पलकों पे ठहर जा

लहराएगा आकाश पे सदियों तेरा पैकर
एक बार मेरी रूह के सांचे में उतर जा

इस बन में रहा करती है परछाई सदा की
ए रात के राही, तू ज़रा तेज गुजर जा

उस पार चला है तो रशीद अपना असासा
बेहतर है किसी आँख की दहलीज पे धर जा - रशीद कैसरानी


paani ki tarah ret ke seene me utar ja

paani ki tarah ret ke seene me utar ja
ya fir tu dhup ban ke khalao me bikhar ja

lahra kisi chhatnaar pe, o meet hawa ke
sukhe hue patto se dabe paanv gujar ja

bahdti hui is dhup me saaya to dhalega
ehsan koi ret ki deewar pe dhar ja

bujhti hui ek shab ka tmaashai hu mai bhi
ae subah ke taare, meri palko pe thahar ja

lahraega aakash pe sadiyo tera paikar
ek baar meri ruh ke saache me utar ja

is ban me raha karti hai parchaai sadaa ki
ae raat ke raahi, tu jaraa tej gujar ja

us paar chala hai to rashid apna asaasaa
behtar hai kisi aankh ki dahleej pe dhar ja - Rashid Kaisrani

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