ईद मनाऊँ कैसे - सलाहुद्दीन अय्यूब

आज मैं ईद मनाऊँ तो मनाऊँ कैसे

आज मैं ईद मनाऊँ तो मनाऊँ कैसे
तुझ को सीने से लगाऊँ तो लगाऊँ कैसे

ईद-गाह अब तो मैं तन्हा ही निकल जाता हूँ
साथ में तुझ को भी लाऊँ तो मैं लाऊँ कैसे

याद आता है तेरा उँगली पकड़ कर चलना
उन झरोंकों को भुलाऊँ तो भुलाऊँ कैसे

तेरे हम-उम्रों की महफ़िल ही से तो रौनक़ थी
महफ़िलें अब वो सजाऊँ तो सजाऊँ कैसे

आज भी माँ ने पकाई हैं सिवइयाँ मीठी
मैं तुझे ला के खिलाऊँ तो खिलाऊँ कैसे

चाँद तो देख लिया मैं ने बहुत साफ़ सा था
अपने चंदा को दिखाऊँ तो दिखाऊँ कैसे

साल ये बीत गया रास्ता तकते तकते
सब्र अब ख़त्म बताऊँ तो बताऊँ कैसे

मुझ को मालूम है मा'सूम है मज़लूम है तू
तुझ को इंसाफ़ दिलाऊँ तो दिलाऊँ कैसे - सलाहुद्दीन अय्यूब


aaj mai eid manau to manaun kaise

aaj mai eid manau to manaun kaise
tujh ko seene se lagau to lagau kaise

eidgaah ab to mai tanha hi nikal jata hun
sath me tujh ko lau to mai lau kaise

yaad aata hai tera ungli pakad kar chalna
un jharoko ko bhulaun to bhulaun kaise

tere ham umro ki mahfil hi se to raunak thi
mahfile ab wo sajaun to sajaun kaise

aaj bhi maan ne pakai hai sivaiyan mithi
mai tujhe la ke khilaun to khilaun kaise

chand to dekh liya maine bahut saaf tha na
apne chanda ko dikhau to dikhau kaise

saal ye beet gaya rasta takte takte
sabr ab khatm batau to batau kaise

mujhko maloom hai masoom hai mazloom hai tu
tujh ko insaaf dilaun to dilaun kaise - Salahuddin Ayyub

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