इश्क़ की गहराइयों में रास्ता मिलता नहीं - मिलन साहिब

इश्क़ की गहराइयों में रास्ता मिलता नहीं

इश्क़ की गहराइयों में रास्ता मिलता नहीं,
चाह जिसकी दिल में हो वो बेवफा मिलता नहीं।

मुश्किलें अम्बार तब लगती हैं अपने आप को,
जब कहीं से मनमुताबिक मशवरा मिलता नहीं।

चार दिन की जिंदगी में सब्र कोई क्या करे,
सांस मद्धम हो गयी दस्त-ए-शिफ़ा मिलता नहीं।

मुफ़लिसों पर मौत का है ख़ौफ़ तारी आजकल,
घर से बेघर हो गए सब आसरा मिलता नहीं।

हीर रांझा, लैला मजनू दौर ही कुछ और था,
इश्क़ में अब मुश्क का वो ज़ायका मिलता नहीं।

क़ातिलों के शह्र से तुम आ गए अच्छा हुआ,
शह्र में माहौल अपने गांव सा मिलता नहीं।

सांस की इक प्यास दुनिया मे बढ़ी है इस क़दर,
तिश्नगी कैसे बुझेगी जायज़ा मिलता नहीं।

कलतलक जीते जो बाजी शोरगुल से बारहा,
आज रोने को भी उनको मुद्दआ मिलता नहीं।

फ़क्र है "साहिब" कि उसको सबकी जां की फ़िक्र है,
हर किसी को इस तरह का रहनुमा मिलता नहीं। - मिलन साहिब


ishq ki gehraiyon me rasta milta nahin

ishq ki gehraiyon me rasta milta nahin
chaah jiski dil me ho wo bewafa milta nahin

mushkile ambaar tab lagti hai apne aap ko
jab kahin se man mutabik mashwara milta nahin

char din ki jindagi me sabr koi kya kare
saans maddham ho gayi dast-e-shifa milta nahin

mufliso par maut ka hai khauf tari aajkal
ghar se beghar ho gaye sab aasra milta nahin

heer ranjha, laila majnu daur hi kuchh aur tha
ishq me ab mushq ka wo zayka milta nahin

qatilo ke shahar me tum aa gaye achha hua
shahar me mahaul apne gaon sa milta nahin

saans ki ek pyas duniya me badhi hai is kadar
tishnagi kaise bujhegi zayza milta nahin

kal talak jeete jo baji shorgul se baaraha
aaj rone ko bhi unko muddaa milta nahin

faqr hai "Sahib" ki usko sabki jaaN ki fikq hai
har kisi ko is tarah ka rahnuma milta nahin - Milan Sahib

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