उम्मीदें ही पाल गया - नज़्म सुभाष

उम्मीदें ही पाल गया

उम्मीदें ही पाल गया
खाली ये भी साल गया

टकसालों पर रोया जो
खोटे सिक्के ढाल गया

बात घरों की करता था
ले सबके तिरपाल गया

मेरी ख्वाहिश पूछ रहा
अपनी हसरत टाल गया

बतकुच्चन का आदी था
जुमला एक उछाल गया

मेरा कातिल मुंशिफ़ है
दोष हमीं पर डाल गया

सरहद सैनिक निगल गयी
दिल्ली रोये, लाल गया
- नज़्म सुभाष


Ummiden hi paal gaya

ummiden hi paal gaya
khali ye bhi saal gaya

taksalo par roya jo
khote sikke dhaal gaya

baat gharo ki karta tha
le sanke tirpal gaya

meri khwahish pooch raha
apni hasrat taal gaya

batkuchhan ka aadi tha
jumla ek uchhal gaya

mera qatil munshif hai
dosh hamin par daal gaya

sarhad sainik nigal gayi
dilli roye, laal gaya
- Nazm Subhash

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