ऐसा लगता है कि ये उम्र पहन आया है
ऐसा लगता है कि ये उम्र पहन आया हैअब मेरे सर पे भी कुछ रंगे कफ़न आया है
उम्र मर-मर के गुजारी है, अभी तक हमने
अब कहा कही जा के हमें जीने का फन आया है
लोग क्यों चाहते है उम्र से भी कम दिखना
कैसी तहजीब है ये, कैसा चलन आया है
ऐसा लगता है कि मै तुझसे बिछड़ जाऊँगा
तेरी आँखों में भी सोने का हिरन आया है
यु तो दुनिया तेरी अच्छी है, बहुत अच्छी है
एक ही शख्स है, जिस शख्स पे मन आया है - अशोक मिज़ाज
Aisa lagata hai ki ye umra pahan aaya hai
Aisa lagata hai ki ye umra pahan aaya haiab mere sar pe bhi kuch range kafan aaya hai
umra mar-mar ke gujari hai, abhi tak hamne
ab kha kahi ja ke hame jeene ka fan aaya hai
log kyo chahte hai umra se bhi kam dikhna
kaisi tahzib hai ye, kaisa chalan aaya hai
aisa lagta hai ki mai tujhse bichchad jaunga
teri aankho me bhi sone ka hiran aaya hai
tu to duniya teri achchi hai, bahut achchi hai
ek hi shakhs hai, jis shakhs pe man aaya hai - Ashok Mizaj
ऐसा लगता है के मैं तुझसे बिछुड़ जाऊंगा
तेरी आँखों में भी सोने का हिरन आया है.
सुभान अल्लाह...बेहतरीन ग़ज़ल है अशोक साहब की. मैं तो इनकी शायरी का दीवाना हूँ इसी के चलते मैंने ब्लॉग पर अपनी "किताबों की दुनिया "श्रृंखला में इनकी लिखी किताब "आवाज़" पर लिखा है.
नीरज
i am also fan of ashok mizaj...i have watched him on you tube first time..Great poet