महकते गुलशनों में तितलियाँ आती ही आती हैं
महकते गुलशनों में तितलियाँ आती ही आती हैंअगर दिल साफ़ रक्खो नेकियाँ आती ही आती हैं
मैं उससे कम ही मिलता हूँ, सुना है मैंने लोगों से
ज़ियादा मेल हो तो दूरियाँ आती ही आती हैं
सुबह से मनचले यूँ ही तो मडराते नहीं रहते
ये पनघट है यहाँ पनहारियाँ आती ही आती हैं
मैं कहता हूँ सियासत में तू क़िस्मत आज़मा ही ले
तुझे दुनिया की सब मक्कारियाँ आती ही आती हैं
कुसूर उसका नहीं, गर वो ख़ुदा ख़ुद को समझता है
जो दौलत हो तो ये ख़ुशफ़हमियाँ आती ही आती हैं
जुनूने-इश्क़, दर्दे-दिल का कैसा ये गिला पगले
जवानी में तो ये बीमारियाँ आती ही आती हैं
अगर बत्तीस हो सीना, पुलिस के काम का है तू
ज़माने भर की तुझको गालियाँ आती ही आती हैं
‘अकेला’ हक़बयानी ने सड़क पर ला दिया तो क्या
भले कामों में कुछ दुश्वारियाँ आती ही आती हैं- विरेन्द्र खरे अकेला
mahkate gulshan me titliya aati hi aati hai
mahkate gulshan me titliya aati hi aati haiagar dil saf rakho nekiya aati hi aati hai
mai usse kam hi milta hu, suna hai mene logo se
jyada mail ho to duriya aati hi aati hai
subah se manchale yun hi to mandrate nahi rahte
ye panghat hai yaha panhariya aati hi aati hai
mai kahta hu siyasat me tu kismat aajma hi le
tujhe duniya ki sab makkariya aati hi aati hai
kusur uska nahi, gar wo khuda khud ko samjhata hai
jo doulat ho to ye khushfahmiya aati hi aati hai
junun-e-ishq, darde-dil ka kaisa ye gila pagle
jawani me to ye bimariya aati hi aati hai
agar battis ho seena, police ke kaam ka hai tu
zamane bhar ki tujhko galiya aati hi aati hai
'akela' hakbayani ne sadak par la diya to kya
bhale kamo me kuch dushwariya aati hi aati hai - Virendra Khare Akela