लम्हा तो एक सदी को जनम दे के मर गया - कृष्ण बिहारी नूर

लम्हा तो एक सदी को जनम दे के मर गया लेकिन अज़ीम काम भी लम्हे में कर गया

लम्हा तो एक सदी को जनम दे के मर गया

लम्हा तो एक सदी को जनम दे के मर गया
लेकिन अज़ीम काम भी लम्हे में कर गया

अगले जनम में मिलने का वादा जो कर गया
ऐसा लगा कि मांग में सिंदूर भर गया

शाहों-गदा को, प्यार को, नफरत को, मौत को
ये वक्त रौंदता हुआ सबको गुजर गया

बंदे से और खुदा से मुलाकात जब हुई
था जिस जगह पे वक्त वही पर ठहर गया

अहसाँ किया भी, कह भी दिया खूब, शुक्रिया,
इक बोझ सा जो दिल में धरा था, उतर गया - कृष्ण बिहारी नूर


lamha to ek sadi ko janm de ke mar gaya

Lamha to ek sadi ko janm de ke mar gaya
lekin azeem kaam bhi lamhe me kar gaya

agle janam me milne ka wada jo kar gaya
aisa laga ki maang me sindoor bhar gaya

shaho-gada ko, pyar ko, nafrat ko, mout ko
ye waqt rondta hua sabko gujar gaya

bande se aur khuda se mulakat jab hui
tha jis jagah pe waqt wahi par thahar gaya

ahsaaN kiya bhi, kah bhi diya khub, shukriya
ik bojh sa jo dil me dhara tha, utar gaya - Krishna Bihari Noor

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