क्यों ये समझू वो अब पराया है - शारिक कैफ़ी

क्यों ये समझू वो अब पराया है

क्यों ये समझू वो अब पराया है
सिर्फ उसने मुझे गवाया है

अब कि जब उसने शहर छोड़ दिया
उस गली से गुजरना आया है

इक तमाशा हूँ आज सबके लिए
उसने इतना मुझे सजाया है

उम्र भर जाग कर भी सिर्फ मुझे
नींद में आँख मलना आया है

फिर ख्यालो में मैंने अपने लिए
भीड़ में रास्ता बनाया है - शारिक कैफ़ी


kyo ye samjhu wo ab paraya hai

kyo ye samjhu wo ab paraya hai
sirf usne mujhe gawaya hai

ab ki jab usne shahar chhod diya
us gali se gujrana aaya hai

ik tamasha hu aaj sabke liye
usne itna mujhe sajaya hai

umra bhar jaag kar bhi sirf mujhe
nind me aankh malna aaya hai

fir khyalo me maine apne liye
bhid me raasta banaya hai - Shariq Kaifi

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