समंदर की तहों तक तो वो जाना चाहता है
समंदर की तहों तक तो वो जाना चाहता हैमगर दामन भी पानी से बचाना चाहता है
न जाने कौन लौटा प्यास की हालत में अब के
कि जिस के ग़म में दरिया सूख जाना चाहता है
ख़ुद अपनी आहटों से ख़ौफ़ खाना जिसकी फ़ितरत
वही अब सारी दुनिया को डराना चाहता है
वो अपनी ज़िंदगी से है बहुत बेज़ार माना
मगर क्या कीजिए, उसको ज़माना चाहता है
उसे मालूम है वो चंद लम्हों का है मेहमाँ
मगर कुछ ख़्वाब पलकों पर सजाना चाहता है
"नसीम" उसके मसाइल से नहीं आगाह कोई
मगर हर शख़्स उसको हल बताना चाहता है - नसीम अज़ीज़ी
samandar ki taho tak wo jana chahta hai
samandar ki taho tak wo jana chahta haimagar daman bhi pani se bachana chahta hai
n jane koun louta pyas ki haalat me ab ke
ki jis ke gham me dariya sukh jana chahta hai
khud apni aahto se khauf khana jiski fitrat
wahi ab sari duniya ko darana chahta hai
wo apni zindgi se hai bahut bezar mana
magar kya kijiye, usko zamana chahta hai
use maloom hai wo chand lamho ka hai mehmaaN
magar kuch khwab palko par sajana chahta hai
"Naseem" uske masaaiil se nahi aagah koi
magar har shakhs usko hal batana chahta hai - Naseem Azizi