आज सुकूं में ढल गया दिल का तमाम इज़्तिराब - फ़रीद जावेद

आज सुकूं में ढल गया दिल का तमाम इज़्तिराब

आज सुकूं में ढल गया दिल का तमाम इज़्तिराब
तिश्ना-लबी के बावजूद अब नहीं ख्वाहिश-ए-शराब

जाम-ओ-सुबू का खेल था कैसे संभालता शराब
कोशिश-ए-एहतियात से छलक गई शराब

कश्मकश-ए-हयात से ये भी हुआ कि बढ़ा
उनके पयाम-ए-नाज़ का बन न पड़ा कोई जवाब

नक्श-ओ-निगार-ए-आरजू कोई फरेबे-नौ नहीं
भूल गया हूँ देख कर ऐसे कई हसीं ख्वाब

जलवा-फ़िशा था आफ़ताब, आपका इन्तजार था
आपका इन्तजार है, डूब रहा है आफ़ताब - फ़रीद जावेद
मायने
इज़्तिराब = व्याकुलता, तिश्ना-लबी = प्यास/प्यासा होंठ, जाम-ओ-सुबू = शराब का प्याला और मटका, कश्मकश-ए-हयात = जीवन संघर्ष, बारहा = प्राय:/अक्सर, पयाम-ए-नाज = घमंड भरा संदेशा, नक्श-ओ-निगार-ए-आरजू = इच्छा के सुन्दर सपने, फरेबे नौ = नया धोखा, जलवा फ़िशा = चमक रहा था


aaj sukoon me dhal gaya dil ka tama iztirab

aaj sukoon me dhal gaya dil ka tama iztirab
tishna-labi ke bawjood ab nahi khwahish-e-sharab

jaam-o-subu ka khel tha kaise sambhalata sharab
koshish-e-ehtiyat se chhalak gai sharab

kashmkash-e-hayat se ye bhi hua ki badha
unke payam-e-naaz ka ban n pada koi jawab

naksh-o-nigar-e-aarjoo koi farebe-nau nahin
bhul gaya hun dekh kar aise kai haseen khwab

jalwa-fisha tha aaftaab, aapka intzaar tha
aapka intzaar hai, doob raha hai aaftaab - Fareed Javed

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