आशना हो तो आशना समझे - बहादुर शाह ज़फर

आशना हो तो आशना समझे

आशना हो तो आशना समझे
हो जो नाआशना, तो क्या समझे

हम इसी को भला समझते है
आपको जो कोई बुरा समझे

वस्ल है, तू जो समझे, से वस्ल
तू जुदा है, अगर जुदा समझे

जो जहर देवे अपने हाथ से तू
तेरा बीमार-गम दवा समझे

हो वो बेगाना एक आलम से
जिसको अपना वो दिलरुबा समझे

ऐ जफ़र, वो कभी न हो गुमराह
जो मुहब्बत को रहनुमा समझे- बहादुर शाह ज़फर

मायने
आशना = मित्र, वस्ल = मिलन, आलम = संसार, रहनुमा = पथ पदर्शक


Aashna ho to aashna samjhe

Aashna ho to aashna samjhe
Ho jo naaashna, to kya samjhe

Ham isi ko bhala samjhate hai
Aapko jo koi bura samjhe

Wasl hai, tu jo samjhe, wo wasl
Tu juda hai, agar juda samjhe

Jo zahar deve apne haath se tu
Tera beemar-gam dawa samjhe

Ho wo begana ek aalam se
Jisko apna wo dilrooba samjhe

Ae zafar, wo kabhi n ho gumrah
Jo muhbbat ko rahnuma samjhe - Bahadur Shah Zafar

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