तड़प कर दिल, उन्हें तड़पा रहा है - जिगर मुरादाबादी

तड़प कर दिल, उन्हें तड़पा रहा है, क़यामत पे क़यामत ढा रहा है अजब आलम सा दिल पे छा रहा है, हसीं जैसे कोई शरमा रहा है ये कैसा दिल पे आलम छा रहा है कि तुझ से मिल के भी घबरा रहा है

तड़प कर दिल, उन्हें तड़पा रहा है

तड़प कर दिल, उन्हें तड़पा रहा है,
क़यामत पे क़यामत ढा रहा है ।

अजब आलम सा दिल पे छा रहा है,
हसीं जैसे कोई शरमा रहा है

ये कैसा दिल पे आलम छा रहा है
कि तुझ से मिल के भी घबरा रहा है

निगाहों से निगाहें लड़ रही हैं,
मज़े दर्दे-मुहब्बत पा रहा है

पयामे-शौक़ का अब पूछना क्या,
बराबर आ रहा है, जा रहा है ।

वह कुछ दिल को मेरे समझा रहे हैं,
कुछ उनको दिल मेरा समझा रहा है ।

गले मिलकर वह रुखसत हो रहे है
मुहब्बत का ज़माना जा रहा है

वह खुद तस्कीने खातिर कर रहे है
मगर दिल है कि डूबा जा रहा है

कली कोई जहाँ पर खिल रही है,
वहीं इक फूल भी मुरझा रहा है ।

तबीयत है कि ठहरी जा रही है,
ज़माना है कि गुज़रा जा रहा है ।

'जिगर' ही का न हो अफ़साना कोई,
दरो-दीवार को हौल आ रहा है - जिगर मुरादाबादी


tadap kar dil, unhe tadpa raha hai

tadap kar dil, unhe tadpa raha hai
kayamat pe kayamat dhaa raha hai

ajab alam sa dil pe chha raha hai
haseeN jaise koi sharma raha hai

ye kaisa dil pe aalam chha raha hai
ki tujh se mil ke bhi ghabra raha hai

nighahoN se nigahen lad rahi hai,
maje darde-muhabbat pa raha hai

payame-shouq ka ab puchhna kya
barabar aa raha hai, ja raha hai

wah kuch dil ko mere samjha rahe hai
kuch unko dil mera samjha raha hai

gale milkar wah rukhsat ho rahe hai
mohabbat ka zamana ja raha hai

wah khud taskeene khatir kar rahe hai
magar dil hai ki duba ja raha hai

kali koi jahan par khil rahi hai,
wahi ik phool bhi murjha raha hai

tabiyat hai ki thahri ja rahi hai
zamana hai ki gujra ja raha hai

"Jigar" hi ka na ho afsana koi
daro-deewar ko haul aa raha hai - Jigar Moradabadi

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