रात भी, नींद भी, कहानी भी - फ़िराक़ गोरखपुरी

रात भी, नींद भी, कहानी भी हाय, क्या चीज़ है जवानी भी

रात भी, नींद भी, कहानी भी

रात भी, नींद भी, कहानी भी
हाय, क्या चीज़ है जवानी भी

दिल को शोलों से करती है सेराब
ज़िन्दगी आग भी है, पानी भी

ख़ल्क़ क्या क्या मुझे नहीं कहती
कुछ सुनूं मैं तेरी ज़ुबानी भी

पास रहना किसी का रात की रात
मेहमानी भी, मेज़बानी भी - फ़िराक़ गोरखपुरी


raat bhi neend bhi kahani bhi

raat bhi neend bhi kahani bhi
haaye kya cheez hai jawani bhi

dil ko sholon se karti hai seraab
zindagi aag bhi hai paani bhi

khalq kya kya mujhe nahin kehti
kuch sunoon main teri zubani bhi

paas rehna kisi ka raat ki raat
mehmaani bhi mezbani bhi - Firaq Gorakhpuri

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