वो जो वह एक अक्स है सहमा हुआ डरा हुआ
वो जो वह एक अक्स है सहमा हुआ डरा हुआदेखा है उसने गौर से सूरज को डूबता हुआ
तकता हु कितनी देर से दरिया को मैं करीब से
रिश्ता हरेक ख़त्म क्या पानी से प्यास का हुआ
होठो से आगे का सफर बेहतर है मुल्तवी करे
वो भी है कुछ निढाल सा मैं भी हु कुछ थका हुआ
कल एक बरहना शाख से पागल हवा लिपट गयी
देखा था खुद ये सानिहा, लगता है जो सुना हुआ
पैरो के निचे से मेरे कब की जमीं निकल गयी
जीना है और या नहीं अब तक न फैसला हुआ - शहरयार
मायने
सानिहा = दुर्घटना
wo jo waha ek aks hai sahma hua dara hua
wo jo waha ek aks hai sahma hua dara huadekha hai usne gour se suraj ko dubta hua
takta hu kitni der se dariya ko mai karib se
rishta harek khtm kya paani se pyas ka hua
hotho se aage ka safar behtar hai multvi kare
wo bhi hai kuch nidhal sa mai bhi hu kuch thaka hua
kal ek barhana shakh se paagal hawa lipat gayi
dekha tha khud ye saniha, lagta hai jo suna hua
pairo ke niche se mere kab ki jamin nikal gayi
jeena hai aur ya nahi ab tak n faisla hua- Shaharyar
वाह ।
बहुत सुंदर
क्या कहने