इश्क में क्या मजा रह गया - कृष्णकुमार चमन

इश्क में क्या मजा रह गया

इश्क में क्या मजा रह गया
ज़ुल्फ़ में दिल घिरा रह गया

छुप गई तूर की रोशनी
नूर बिखरा हुआ रह गया

जाने किसका वो दर था जहाँ
सर झुका का झुका रह गया

पीने निकला हूँ में, देखना
किस तरफ मयकदा रह गया

दिल ही टुटा, तो फिर ये कहो
आजमाने को क्या रह गया

दाग़ वो दोस्तों ने दिए
दुश्मनों को गिला रह गया

खुद को देखू, या देखू तुम्हे
मै यही सोचता रह गया

आजमा ले उसे भी 'चमन'
आसरा जो बचा रह गया - कृष्णकुमार चमन


ishq me kya maja rah gaya

ishq me kya maja rah gaya
zulf me dil ghira rah gaya

chhup gayi toor ki roshni
noor bikhra hua rah gaya

jaane kiska wo dar tha jaha
sar jhuka ka jhuka rah gaya

peene nikla hun me, dekhna
kis taraf maykada rah gaya

dil hi tuta, to phir ye kaho
aajamane ko kya rah gaya

daagh wo dosto ne diye
dushmano ko gila rah gaya

khud ko dekhu, ya dekhu tumhe
mai yahi sochta rah gaya

aajma le use bhi Chaman
aasra jo bacha rah gaya - Krishankumar Chaman

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