उम्मीद भी किरदार पे पूरी नहीं उतरी - मुनव्वर राना

उम्मीद भी किरदार पे पूरी नहीं उतरी ये शब दिले-बीमार पे पूरी नहीं उतरी एक तेरे न रहने से बदल जाता है सब कुछ कल धूप भी दीवार पे पूरी नहीं उतरी

उम्मीद भी किरदार पे पूरी नहीं उतरी

उम्मीद भी किरदार पे पूरी नहीं उतरी
ये शब दिले-बीमार पे पूरी नहीं उतरी

क्या ख़ौफ़ का मंज़र था तेरे शहर में कल रात
सच्चाई भी अख़बार में पूरी नहीं उतरी

तस्वीर में एक रंग अभी छूट रहा है
शोख़ी अभी रुख़सार पे पूरी नहीं उतरी

पर उसके कहीं,जिस्म कहीं, ख़ुद वो कहीं है
चिड़िया कभी मीनार पे पूरी नहीं उतरी

एक तेरे न रहने से बदल जाता है सब कुछ
कल धूप भी दीवार पे पूरी नहीं उतरी

मैं दुनिया के मेयार पे पूरा नहीं उतरा
दुनिया मेरे मेयार पे पूरी नहीं उतरी - मुनव्वर राना


ummid bhi kirdar pe puri nahi utri

ummid bhi kirdar pe puri nahi utri
ye shab dil-e-beemar pe puri nahi utri

kya khauf ka manzar the tere shahar me kal raat
sachchai bhi akhbaar me puri nahi utri

tasweer me ek rang abhi chhut raha hain
shokhi abhi rukhsar pe puri nahi utri

par uske kahi, jism kahin, khud wo kahi hai
chidiya kabhi meenar pe puri nahi utri

ek tere n rahne se badal jata hai sab kuchh
kal dhup bhi deewar pe puri nahi utri

mai duniya ke meyaar pe pura nahin utra
duniya mere meyar pe puri nahin utri - munwwar rana

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