हमारा दिल तो मुकम्मल सुकून चाहता है - फ़ारुक़ अंजुम

हमारा दिल तो मुकम्मल सुकून चाहता है

हमारा दिल तो मुकम्मल सुकून चाहता है
मगर ये वक्त की हमसे जूनून चाहता है

अब इस बहिश्त को मकतल का नाम दे दीजे
कि अब ये खितए-कश्मीर, खून चाहता है

फरेब इतने दी है उसे सहारो ने
वो छत भी अपने लिए बेसुतून चाहता है

सफ़र में बर्फ हवाओ से नींद आती है
लहू हमारा दिसंबर में जून चाहता है

मिलेगा तुझको फ़कत सुहबते-बुजुर्गा से
अगर शऊरे-उलुमो-फुनून चाहता है - फ़ारुक़ अंजुम


hamara dil to mukammal sukoon chahta hai

hamara dil to mukammal sukoon chahta hai
magar ye waqt ki hamse junoon chahta hai

ab is bahisht ko maqtal ka naam de deeje
ki ab ye khit-e-kashmir, khoon chahta hia

fareb itne di hai use saharo ne
wo chhat bhi apne liye besutoon chahta hai

safar me barf hawao se neend aati hai
lahu hamara december me june chahta hai

milega tujhko faqat suhbate-bujurga se
agar shaure-ulumo-funoon chahta hai - Faruq Anjum

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