हाल-ए-दिल मैं सुना नहीं सकता - अकबर इलाहाबादी

हाल-ए-दिल मैं सुना नहीं सकता लफ़्ज़ माना को पा नहीं सकता इश्क़ नाज़ुक-मिज़ाज है बेहद अक़्ल का बोझ उठा नहीं सकता

हाल-ए-दिल मैं सुना नहीं सकता

हाल-ए-दिल मैं सुना नहीं सकता
लफ़्ज़ माना को पा नहीं सकता

इश्क़ नाज़ुक-मिज़ाज है बेहद
अक़्ल का बोझ उठा नहीं सकता

होश आरिफ़ की है यही पहचान
कि ख़ुदी में समा नहीं सकता

पोंछ सकता है हम-नशीं आँसू
दाग़-ए-दिल को मिटा नहीं सकता

मुझ को हैरत है उस की क़ुदरत पर
अलम उस को घटा नहीं सकता - अकबर इलाहाबादी


haal-e-dil main suna nahin sakta

haal-e-dil main suna nahin sakta
lafz mana ko pa nahin sakta

ishq nazuk-mizaj hai behad
aql ka bojh utha nahin sakta

hosh aarif ki hai yahi pahchan
ki khudi mein sama nahin sakta

ponchh sakta hai ham-nashin aansu
dagh-e-dil ko mita nahin sakta

mujh ko hairat hai us ki qudrat par
alam us ko ghata nahin sakta - Akbar Allahabadi

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