डूबने वाले को तिनके का सहारा है बहुत
डूबने वाले को तिनके का सहारा है बहुतरात तारीक सही एक सितारा है बहुत
दर्द उठता है जिगर में किसी तूफ़ाँ की तरह
तब तिरी यादों के दामन का किनारा है बहुत
ज़ुल्म जिस ने किए वो शख़्स बना है मुंसिफ़
ज़ुल्म पर ज़ुल्म ने मज़लूम को मारा है बहुत
राह दुश्वार है पग पग पे हैं काँटे लेकिन
राह-रौ के लिए मंज़िल का इशारा है बहुत
उस को पाने की तमन्ना ही रही जीवन भर
दूर से हम ने मसर्रत को निहारा है बहुत
फ़ासले बढ़ते गए उम्र भी ढलती ही गई
वस्ल का ख़्वाब लिए वक़्त गुज़ारा है बहुत
होंट ख़ामोश थे इक आह भी हम भर न सके
बारहा दिल ने मगर तुम को पुकारा है बहुत
झूटी तारीफ़ से लगता है बहुत डर 'मोना'
मीठी बातों ने ही शीशे में उतारा है बहुत - एलिज़ाबेथ कुरियन मोना
मायने
तारीक = अँधेरा / अंधकारमय, मुंसिफ़ =आदिल/इन्साफ करने वाला, मज़लूम = पीड़ित, राह-रौ = मुसाफ़िर, मसर्रत = खुशी/आनंद, वस्ल = मिलन,
dubane wale ko tinke ka sahara hai bahut
dubane wale ko tinke ka sahara hai bahutraat taariq sahi ek sitara hai bahut
dard uthta hai jigar me kisi tufaaN ki tarah
tab tiri yaado ke daman ka kinara hai bahut
zulm jis ne kiye wo shakhs bana hai munsif
zulm par zulm ne mazloom ko mara hai bahut
raah dushwar hai pag-pag pe kaante hai lekin
raah-ro ke liye manzil ka ishara hai bahut
us ko paane ki tamnna hi rahi jeevan bhar
door se ham ne massrat ko nihara hai bahut
fasle badhte gaye umr bhi dhalti hi gai
wasl ka khwab liye waqt gujara hai bahut
hont khamosh the ik aah bhi ham bhar n sake
baraha dil ne magar tum ko pukara hai bahut
jhuthi tareef se lagta hai bahut dar 'Mona'
mithi baato ne hi shishe me utara hai bahut - Elizabeth Kurian Mona