दायरा समेट लिया चुपके से सवेरों ने
दायरा समेट लिया चुपके से सवेरों नेकदम रख दिया हैं लगता है अंधेरों ने
हमारे जाल मे हलचल काहे को होगी
दरिया खंगाल लिया कब का मछेरों ने
सांप ही सांप हैं आंगन मे चारो तरफ
अंडे दिये हैं शायद दड़बों मे बटेरों ने
ये लाशें इस बात की दस्तीक करती हैं
खामोशी से पकड़ी थी आग बसेरों ने
कैसे सुनते वो चीख पुकार ऐ "आलम"
कानों मे उंगलियाँ दे रखी थीं बहरों ने - मारूफ आलम
dayra samet liya chupke se sawero ne
dayra samet liya chupke se sawero nekadam rakh diya hai lagta hai andhero ne
hamare jaal me halchal kahe ko hogi
dariya khangal liya kab ka machhero ne
saanp hi saanp hain aangan me charo taraf
ande diye hai shayad dadbo me batero ne
ye lashe is baat ki dasteek karti hai
khamoshi se pakdi thi aag basero ne
kaise sunte wo cheekh pukaar ae aalam
kano me ungliya de rakhi thi bahro ne - Maroof Alam