यह न सोचो कल क्या हो - मीना कुमारी नाज़

यह न सोचो कल क्या हो कौन कहे इस पल क्या हो

यह न सोचो कल क्या हो

यह न सोचो कल क्या हो
कौन कहे इस पल क्या हो

रोओ मत, न रोने दो
ऐसी भी जल-थल क्या हो

बहती नदी को बांधे बाँध
चुल्लू में हलचल क्या हो

हर क्षण हो जब आस बना
हर क्षण फिर निर्बल क्या हो

रात ही गर चुपचाप मिले
सुबह फिर चंचल क्या हो

आज ही आज की कहे सुने
क्यों सोचे कल, कल क्या हो- मीना कुमारी "नाज़"


yah n socho kal kya ho

yah n socho kal kya ho
koun kahe is pal kya ho

roo mat, n rone do
aisi bhi jal-thal kya ho

bahti nadi ko bandhe bandh
chullu me halchal kya ho

har kshan ho jab aas bana
har kshan fir nirbal kya ho

raat hi gar chupchap mile
subah fir chanchal kya ho

aaj hi aaj ki kahe sune
kyo soche kal, kal kya ho - Meena Kumari Naaz

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