गुलाबो की तरह दिल अपना शबनम में भिगोते है - बशीर बद्र

यही अंदाज है मेरा समुन्दर फ़तह करने का मेरी कागज की कश्ती में कई जुगनू भी होते है

गुलाबो की तरह दिल अपना शबनम में भिगोते है

गुलाबो की तरह दिल अपना शबनम में भिगोते है
मुहब्बत करने वाले खुबसूरत लोग होते है

किसी ने जिस तरह अपने सितारों को सजाया है
गजल के रेशमी धागे में यु मोती पिरोते है

पुराने मौसमो के नामे-नामी मिटते जाते है
कही पानी, कही शबनम, कही आसू भिगोते है

यही अंदाज है मेरा समुन्दर फ़तह करने का
मेरी कागज की कश्ती में कई जुगनू भी होते है

सुना है बद्र साहब महफ़िलो की जान होते थे
बहुत दिनों से वो पत्थर है, न हँसते है न रोते है-बशीर बद्र


gulabo ki tarah dil apna shabnam me bhigote hai

gulabo ki tarah dil apna shabnam me bhigote hai
muhbbat karne wale khubsurat log hote hai

kisi ne jis tarah apne sitaro ko sajay hai
gazal ke reshmi dhage me yun moti pirote hai

purane mousamo ke name-nami mitte jate hai
kahi pani, kahi shabnam, kahi aansu bhigote hai

yahi andaj hai mera samundar fatah karne ka
meri kaagaj ki kashti me kai jugnu bhi hote hai

suna hai badr sahab mahfilo ki jaan hote the
bahut dino se wo patthar hai, n haste hai, n rote hai- Bashir Badr

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