इश्क़ क्या चीज़ है ये पूछिए परवाने से - साहिर होशियारपुरी

इश्क़ क्या चीज़ है ये पूछिए परवाने से

इश्क़ क्या चीज़ है ये पूछिए परवाने से
ज़िंदगी जिस को मयस्सर हुई जल जाने से

मौत का ख़ौफ़ हो क्या इश्क़ के दीवाने को
मौत ख़ुद काँपती है इश्क़ के दीवाने से

हो गया ढेर वहीं आह भी निकली न कोई
जाने क्या बात कही शम्अ' ने परवाने से

हुस्न बे-इश्क़ कहीं रह नहीं सकता ज़िंदा
बुझ गई शम्अ' भी परवाने के जल जाने से

खाए जाती है नदामत मुझे इस ग़फ़लत की
होश में आ के चला आया हूँ मयख़ाने से

कर दिया गर्दिश-ए-अय्याम ने रुस्वा 'साहिर'
मुझ को शिकवा है यगाने से न बेगाने से - साहिर होशियारपुरी


ishq kya cheez hai ye puchhiye parwane se

ishq kya cheez hai ye puchhiye parwane se
zindagi jis ko mayassar hui jal jaane se

maut ka khauf ho kya ishq ke diwane ko
maut khud kanpti hai ishq ke diwane se

ho gaya dher wahin aah bhi nikli na koi
jaane kya baat kahi shama ne parwane se

husn be-ishq kahin rah nahin sakta zinda
bujh gai shama bhi parwane ke jal jaane se

khae jati hai nadamat mujhe is ghaflat ki
hosh mein aa ke chala aaya hun maikhane se

kar diya gardish-e-ayyam ne ruswa 'sahir'
mujh ko shikwa hai yagane se na begane se - Sahir Hoshiyarpuri

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