पीत के रोगी सब कुछ बुझे जाने होते है - इब्ने इंशा

पीत के रोगी सब कुछ बुझे जाने होते है

पीत के रोगी सब कुछ बुझे जाने होते है,
इन लोगो के ईट न मारो, कहाँ दीवाने होते है

आहे इनकी उमड़ते बादल आंसू इनके अब्रे-मतीर,
दश्त में इनको बाग़ लगाने शहर बसाने होते है

हम न कहेंगे आप है पीत के दुश्मन मन के कठोर मगर,
आ मिलने के, ना मिलने के लाख बहाने होते है

अपने से पहले दश्त में रहते कोह से नहरे लाते थे,
हमने भी इश्क किया है लोगो सब अफसाने होते है

इंशा जी छब्बीस बरस के होके ये बाते करते हो,
इंशा जी इस उम्र के लोग तो बड़े सयाने होते है - इब्ने इंशा


peet ke rogi sab kuchh bujhe jane hote hai

peet ke rogi sab kuchh bujhe jane hote hai
in logo ke iet n maro, kahaan deewane hote hai

aahe inki umdate badal, aansu inke abre-mateer
dasht me inko baagh lagane, shahar basane hote hai

hum n kahenge aap hai peet ke dushman, man ke kathor magar
aa milne ke, naa milne ke laakh bahane hote hai

apne se pahle dasht me rahte koh se nahre laate the
hamne bhi ishq kiya hai, logo sab afsane hote hai

insha ji chabbis baras ke hoke ye naate karte ho
insha ji is umra ke log to bade sayane hote hai - Ibne Insha

Post a Comment

कृपया स्पेम न करे |

Previous Post Next Post