तू जब राह से भटकेगा, मै बोलूँगा - आलोक श्रीवास्तव

तू जब राह से भटकेगा, मै बोलूँगा  मुझको कुछ भी खटकेगा, मै बोलूँगा

तू जब राह से भटकेगा, मै बोलूँगा

तू जब राह से भटकेगा, मै बोलूँगा
मुझको कुछ भी खटकेगा, मै बोलूँगा

सच का लहजा थोडा टेढा होता है
जहाँ जहाँ तू अटकेगा, मै बोलूँगा

अवसरवादी साथी-सा व्यवहार न कर,
हाथ अगर तू झटकेगा, मै बोलूँगा

विश्वासों का शीशा नाज़ुक होता है,
ये शीशा जब चटकेगा, मै बोलूँगा

मीठे-मीठे वादों के सब बाग दिखा
वादों से जब भटकेगा, मै बोलूँगा - आलोक श्रीवास्तव


tu jab raah se bhatkega, mai bolunga

tu jab raah se bhatkega, mai bolunga
mujhko kuch bhi khatkega, mai bolunga

sach ka lahza thoda tedha hota hai
jahaN JahaN tu atkega, mai bolunga

avsarwadi sathi-sa vyvhaar n kar,
haath agar tu jhatkega, mai bolunga

vishwaso ka sheesha nazuk hota hai
ye sheesha jab chatkega, mai bolunga

meethe-meethe wado ke sab baag dikha
waado se jab bhatkega, mai bolunga - Aalok Shriwastav

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